मशरूम की व्यासायिक खेती:
अतिरिक्त आय का आकर्षक स्त्रोत
प्राचीन काल से ही मशरूम की कई किस्मों में से खाने योग्य किस्मों का चुनाव मानव करना सीख गया था एवं अपनी रसोई में इसका कई प्रकार से उपयोग प्रारंभ करा चुका था । किन्तु मशरूम की खेती का इतिहास बहुत पुराना नहीं है । जहॉं पूर्व में मशरूम को बादल के गरजने से उपजने वाली वनस्पति रूप में ही देखा जाता था, वहीं आज आधुनिक कृषि विज्ञान तकनीक के कारण यह वर्ष में छह से नौ महीने तक उगाया जा सकता है । मशरूम की खेती से जुड़ा हुआ सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इसकी खेती भूमिहीन कृषक एवं मजदूर भी कर सकते है क्योंकि इसकी खेती के लिये भूमि की आवश्यकता नहीं होती है । मशरूम की खेती से जुड़ा हुआ एक रोचक तथ्य यह भी है कि इसकी उपज मात्र 21 दिन से ही प्राप्त होनी शुरू हो जाती है ।
मशरूम के एक थैले को तैयार करने में लगभग रू. आठ से दस की लागत आती है । एक थैले से लगभग दो से सवा दो किलो ताजा मशरूम प्राप्त होता है । बड़े शहरों में मशरूम के विक्रय दर रू. पचास से साठ तक प्राप्त होती है जिससे रू. चालीस से पचास शुद्ध आय प्राप्त की जा सकती है ।
मशरूम का पोषक मान:
100 ग्राम ताजे मशरूम में 88.5 ग्राम जलांश (नमी), 3.1 ग्राम प्रोटीन, 0.8 ग्राम वसा, 1.4 ग्राम खनिज लवण, 0.44 ग्राम रेशा, 4.3 ग्राम कार्बोज़, 33 किलो कैलोरी ऊर्जा, 6 मिली ग्राम कैल्शियम, 110 मिली ग्राम फॉस्फोरस, 1.5 मिल ग्राम लौह तत्व उपस्थित होता है ।
मशरूम की खेती हेतु सामग्री :
मशरूम की खेती हेतु निम्नलिखित सामग्री आवश्यक है -
भूसा, फार्मेल्डिहाईड, बैविस्टिन, मशरूम की बीज (स्पॉन) , 14×18 इंच आकार की पॉलीथिन, 4×3 मीटर आकार की पॉलीथिन शीट, सुतली, टोंचा, ब्लेड, 2 बड़ी बाल्टी, 1 मग पीने योग्य स्वच्छ जल, साबुन, साफ तौलिया ।
मशरूम की खेती हेतु आवश्यक एवं अनुकूल परिस्थितियाँ:
तापमान एवं आद्रर्ता (नमी)
मशरूम की खेती के लिये आवश्यक तापमान एंव आद्रर्ता वर्षा ऋतु के प्राकृतिक तापमान एवं आद्रर्ता के समान ही होना चाहिए । यह लगभग 25 से 35 डिग्री सैल्सियस तथा 80 से 90 प्रतिशत आद्रर्ता होती है। वर्षा ऋतु में यह स्थिति प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रहती है किन्तु वर्षा के उपरांत इस स्थिति का निर्माण निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है -
· मशरूम के थैले को स्वच्छ एवं सुरक्षित, अंधेरे, हवादार तथा ठंडे कमरे में रख कर तथा फर्श पर रेत की पर्त बिछा कर ।
· मशरूम के थैले को दिन में कम से कम पाँच से छह बार तथा रात में दो से तीन बार पानी से (झारे द्वारा) से सींचा कर, तर करके ।
· मशरूम की खेती जून माह में पहली वर्षा के उपरांत से लेकर फरवरी माह के अन्त तक करके ।
· बड़े स्तर पर घास की अथवा खस की झोपड़ी बना कर, झोपड़ी की घास को गीला रखते हुये, फर्श पर रेत की पर्त बिछा कर, झोपड़ी के भीतर तापमान तथा आद्रर्ता को नियंत्रित करते हुये मशरूम की खेती करके ।
मशरूम कक्ष की स्वच्छता:
· मशरूम कक्ष वह कक्ष है जिसमें मशरूम के थैलों की भराई तथा बीज रोपित किया जाता है एवं इन थैलों को टाँगा जाता है
· बाहर उपयोग किये गये जूते-चप्पल, कक्ष के बाहर उतारें तथा कक्ष में प्रवेश करने हेतु उपयोग की जाने वाली चप्पल पहनकर ही प्रवेश करें ।
· मशरूम के थैलों को हाथ लगाने के पूर्व अपने हाथ साबुन तथा स्वच्छ जल के अच्छी प्रकार धोयें ।
· हाथ धोने के उपरान्त फार्मल्डिहईड के दो प्रतिशत घोल से हाथ धोयें ।
· मशरूम कक्ष में कार्य खत्म करने के उपरान्त कक्ष से बाहर आकर साबुन तथा स्वच्छ जल से अच्छी तरह हाथ फिर से धोयें ।
· यदि कमरों का फर्श पक्का हो तो अच्छी तरह बुहार कर फिनाईल से पोछा लगायें ।
· दीवारों पर लगे जाले हटायें तथा दीवारों को बुहार लें ।
· फार्मल्डिहाईड 1 सें 2 प्रतिशत तथा बैविस्टीन का 0.05 प्रतिश्त का स्वच्छ जल में घोल बनायें तथा इस घोल का छिड़काव दीवारों पर करें ।
· चूहे इत्यादि के बिल को बंद करें । चूहे तथा अन्य कीड़े के मशरूम कक्ष में प्रवेश को रोकने के लिये दरवाजें, खिड़कियों तथा दीवारों के सूराखों तथा दरारों को बंद करें ।
· यदि मशरूम कक्ष की छत कबेलू की हो तो कबेलू के नीचे, स्वच्छ चादर (पाल) लगायें जिसे समय-समय पर धोलें।
· कच्ची फर्श को गोबर से अच्छी प्रकार लीप लें ।
· फर्श (कच्ची या पक्की) का उपचार करने के उपरान्त, छनी हुई बारीक रेत की लगभग छह इंच की पर्त बिछायें जिससे मषरूम कक्ष में ठंडक बनी रहेगी ।
· कक्ष में चूहा पकड़ने का पिंजरा अवश्य रखें ।
· मशरूम बैग भरते समय तथा मशरूम की तुड़ाई करते समय बालों को धुले हुये कपड़े से कस कर बाँधे तथा महिलायें अपनी चूड़ियों को धुले हुये कपड़े से हाथ पर बॉध लें ।
· अनजान व्यक्ति का प्रवेश मशरूम कक्ष में वर्जित रखें ।
मशरूम की खेती हेतु स्वच्छता:
व्यक्तिगत तथा स्थान की मशरूम की खेती हेतु स्वच्छता अत्यंत आवश्यक है । ज़रा सी चूक के कारण ज़हीरले अथवा न जा खाने योग्य मशरूम उगने आरंभ हो सकते हैं । स्वच्छता बनाये रखने हेतु निम्नलिखित कार्य करने चाहिये -
व्यक्तिगत स्वच्छता:
· नेलकटर द्वारा नाखून काटें ।
· शरीर को खरोंचने, खुजली करने, बालों में हाथ फिराने, थूकने, छीकनें, खाँसने, नाक पोछने, तम्बाकू खाने, बीड़ी अथवा सिगरेट पीने, जैसी गंदी आदतों से दूर रहें ।
· अच्छी गुणवत्ता के साबुन तथा स्वच्छ जल से स्नान करें तथा स्वच्छ सूखी तौलियें से शरीर पोंछे ।
· दाद, खाज, खुजली, खाँसी, जुखाम जैसे रोगों का उपचार करवायें ।
· कपड़े धोने के उचित गुणवत्ता के साबुन अथवा डिटेर्जंट पाऊडर से धुले हुये कपड़े धारण करें ।
मशरूम की खेती की विधि:
भूसे का उपचार- भूसे उपचार दो प्रकार से किया जा
अतिरिक्त आय का आकर्षक स्त्रोत
प्राचीन काल से ही मशरूम की कई किस्मों में से खाने योग्य किस्मों का चुनाव मानव करना सीख गया था एवं अपनी रसोई में इसका कई प्रकार से उपयोग प्रारंभ करा चुका था । किन्तु मशरूम की खेती का इतिहास बहुत पुराना नहीं है । जहॉं पूर्व में मशरूम को बादल के गरजने से उपजने वाली वनस्पति रूप में ही देखा जाता था, वहीं आज आधुनिक कृषि विज्ञान तकनीक के कारण यह वर्ष में छह से नौ महीने तक उगाया जा सकता है । मशरूम की खेती से जुड़ा हुआ सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इसकी खेती भूमिहीन कृषक एवं मजदूर भी कर सकते है क्योंकि इसकी खेती के लिये भूमि की आवश्यकता नहीं होती है । मशरूम की खेती से जुड़ा हुआ एक रोचक तथ्य यह भी है कि इसकी उपज मात्र 21 दिन से ही प्राप्त होनी शुरू हो जाती है ।
मशरूम के एक थैले को तैयार करने में लगभग रू. आठ से दस की लागत आती है । एक थैले से लगभग दो से सवा दो किलो ताजा मशरूम प्राप्त होता है । बड़े शहरों में मशरूम के विक्रय दर रू. पचास से साठ तक प्राप्त होती है जिससे रू. चालीस से पचास शुद्ध आय प्राप्त की जा सकती है ।
मशरूम का पोषक मान:
100 ग्राम ताजे मशरूम में 88.5 ग्राम जलांश (नमी), 3.1 ग्राम प्रोटीन, 0.8 ग्राम वसा, 1.4 ग्राम खनिज लवण, 0.44 ग्राम रेशा, 4.3 ग्राम कार्बोज़, 33 किलो कैलोरी ऊर्जा, 6 मिली ग्राम कैल्शियम, 110 मिली ग्राम फॉस्फोरस, 1.5 मिल ग्राम लौह तत्व उपस्थित होता है ।
मशरूम की खेती हेतु सामग्री :
मशरूम की खेती हेतु निम्नलिखित सामग्री आवश्यक है -
भूसा, फार्मेल्डिहाईड, बैविस्टिन, मशरूम की बीज (स्पॉन) , 14×18 इंच आकार की पॉलीथिन, 4×3 मीटर आकार की पॉलीथिन शीट, सुतली, टोंचा, ब्लेड, 2 बड़ी बाल्टी, 1 मग पीने योग्य स्वच्छ जल, साबुन, साफ तौलिया ।
मशरूम की खेती हेतु आवश्यक एवं अनुकूल परिस्थितियाँ:
तापमान एवं आद्रर्ता (नमी)
मशरूम की खेती के लिये आवश्यक तापमान एंव आद्रर्ता वर्षा ऋतु के प्राकृतिक तापमान एवं आद्रर्ता के समान ही होना चाहिए । यह लगभग 25 से 35 डिग्री सैल्सियस तथा 80 से 90 प्रतिशत आद्रर्ता होती है। वर्षा ऋतु में यह स्थिति प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रहती है किन्तु वर्षा के उपरांत इस स्थिति का निर्माण निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है -
· मशरूम के थैले को स्वच्छ एवं सुरक्षित, अंधेरे, हवादार तथा ठंडे कमरे में रख कर तथा फर्श पर रेत की पर्त बिछा कर ।
· मशरूम के थैले को दिन में कम से कम पाँच से छह बार तथा रात में दो से तीन बार पानी से (झारे द्वारा) से सींचा कर, तर करके ।
· मशरूम की खेती जून माह में पहली वर्षा के उपरांत से लेकर फरवरी माह के अन्त तक करके ।
· बड़े स्तर पर घास की अथवा खस की झोपड़ी बना कर, झोपड़ी की घास को गीला रखते हुये, फर्श पर रेत की पर्त बिछा कर, झोपड़ी के भीतर तापमान तथा आद्रर्ता को नियंत्रित करते हुये मशरूम की खेती करके ।
मशरूम कक्ष की स्वच्छता:
· मशरूम कक्ष वह कक्ष है जिसमें मशरूम के थैलों की भराई तथा बीज रोपित किया जाता है एवं इन थैलों को टाँगा जाता है
· बाहर उपयोग किये गये जूते-चप्पल, कक्ष के बाहर उतारें तथा कक्ष में प्रवेश करने हेतु उपयोग की जाने वाली चप्पल पहनकर ही प्रवेश करें ।
· मशरूम के थैलों को हाथ लगाने के पूर्व अपने हाथ साबुन तथा स्वच्छ जल के अच्छी प्रकार धोयें ।
· हाथ धोने के उपरान्त फार्मल्डिहईड के दो प्रतिशत घोल से हाथ धोयें ।
· मशरूम कक्ष में कार्य खत्म करने के उपरान्त कक्ष से बाहर आकर साबुन तथा स्वच्छ जल से अच्छी तरह हाथ फिर से धोयें ।
· यदि कमरों का फर्श पक्का हो तो अच्छी तरह बुहार कर फिनाईल से पोछा लगायें ।
· दीवारों पर लगे जाले हटायें तथा दीवारों को बुहार लें ।
· फार्मल्डिहाईड 1 सें 2 प्रतिशत तथा बैविस्टीन का 0.05 प्रतिश्त का स्वच्छ जल में घोल बनायें तथा इस घोल का छिड़काव दीवारों पर करें ।
· चूहे इत्यादि के बिल को बंद करें । चूहे तथा अन्य कीड़े के मशरूम कक्ष में प्रवेश को रोकने के लिये दरवाजें, खिड़कियों तथा दीवारों के सूराखों तथा दरारों को बंद करें ।
· यदि मशरूम कक्ष की छत कबेलू की हो तो कबेलू के नीचे, स्वच्छ चादर (पाल) लगायें जिसे समय-समय पर धोलें।
· कच्ची फर्श को गोबर से अच्छी प्रकार लीप लें ।
· फर्श (कच्ची या पक्की) का उपचार करने के उपरान्त, छनी हुई बारीक रेत की लगभग छह इंच की पर्त बिछायें जिससे मषरूम कक्ष में ठंडक बनी रहेगी ।
· कक्ष में चूहा पकड़ने का पिंजरा अवश्य रखें ।
· मशरूम बैग भरते समय तथा मशरूम की तुड़ाई करते समय बालों को धुले हुये कपड़े से कस कर बाँधे तथा महिलायें अपनी चूड़ियों को धुले हुये कपड़े से हाथ पर बॉध लें ।
· अनजान व्यक्ति का प्रवेश मशरूम कक्ष में वर्जित रखें ।
मशरूम की खेती हेतु स्वच्छता:
व्यक्तिगत तथा स्थान की मशरूम की खेती हेतु स्वच्छता अत्यंत आवश्यक है । ज़रा सी चूक के कारण ज़हीरले अथवा न जा खाने योग्य मशरूम उगने आरंभ हो सकते हैं । स्वच्छता बनाये रखने हेतु निम्नलिखित कार्य करने चाहिये -
व्यक्तिगत स्वच्छता:
· नेलकटर द्वारा नाखून काटें ।
· शरीर को खरोंचने, खुजली करने, बालों में हाथ फिराने, थूकने, छीकनें, खाँसने, नाक पोछने, तम्बाकू खाने, बीड़ी अथवा सिगरेट पीने, जैसी गंदी आदतों से दूर रहें ।
· अच्छी गुणवत्ता के साबुन तथा स्वच्छ जल से स्नान करें तथा स्वच्छ सूखी तौलियें से शरीर पोंछे ।
· दाद, खाज, खुजली, खाँसी, जुखाम जैसे रोगों का उपचार करवायें ।
· कपड़े धोने के उचित गुणवत्ता के साबुन अथवा डिटेर्जंट पाऊडर से धुले हुये कपड़े धारण करें ।
मशरूम की खेती की विधि:
भूसे का उपचार- भूसे उपचार दो प्रकार से किया जा
मशरूम की व्यासायिक खेती
Reviewed by vikram beer singh
on
मार्च 16, 2018
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