बटन मशरूम (button mushroom)

बटन मशरूम (button mushroom)
बटन मशरूम सर्वाधिक लोकप्रिय एवं स्वादिष्ट मशरूम है। इसमें भी पौष्टिक तत्व अन्य मशरूम की तरह ही है। इस मशरूम का उत्पादन सर्दियों में ही किया जा सकता है। तापमान 20 से कम एवं 70% से अधिक आर्द्रता की आवश्यकता होती है। बटन मशरूम की खेती एक विशेष प्रकार की खाद पर ही की जा सकती है जिसे कम्पोस्ट कहते है।



कम्पोस्ट दो प्रकार से तैयार की जा सकती है।

  • लम्बी विधि द्वारा
  • अलप विधि द्वारा

लम्बी विधि द्वारा कम्पोस्ट तैयार करना
इस विधि द्वारा कम्पोस्ट तैयार करने के लिए किसी विशेष मूल्यवान मशीनरी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कम्पोस्ट बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्री काम में ली जा सकती है।
कम्पोस्ट बनाने के विभिन्न सूत्र
सूत्र – 1
गेहूं/चावल का भूसा- 1000 किलोग्राम, अमोनियम सल्फेट/कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट- 27 किलोग्राम, सुपरफास्फेट- 10 किलोग्राम, यूरिया-17 किलोग्राम, गेहूं का चौकर-100 किलोग्राम, जिप्सम-36 किलोग्राम।

सूत्र – 2
गेहूं/चावल का भूसा- 1000 किलोग्राम, गेहूं का चापड़- 100 किलोग्राम, सुपर फास्फेट- 10 किलोग्राम, केल्सियम अमोनियम नाइट्रेट सल्फेट(206%)-28 किलोग्राम, जिप्सम- 100 किलोग्राम, यूरिया(46% नाइट्रोजन)- 12 किलोग्राम, सल्फेट या न्यूरेट ऑफ पोटाश-10 किलोग्राम, नेमागान(60%)- 135 मिली लीटर, निलसेस-175 लीटर।
सूत्र – 3
गेहूं/चावल का भूसा- (1:1)1000 किलोग्राम, केल्सियम अमोनियम नाइट्रेट -30 किलोग्राम, यूरिया-132 किलोग्राम,  गेहूं का चौकर-50 किलोग्राम,  जिप्सम- 35 किलोग्राम, लिण्डेन(10%)-1 किलोग्राम, फार्मलीन-2 लीटर।
उपरोक्त सूत्रों के अलावा राजस्थान के वता वर्ण अनुसार उपयुक्त सूत्र निम्न है :-
गेहूं का भूसा 1000 किलोग्राम, गेहूं का चापड़- 200 किलोग्राम, यूरिया- 20 किलो, जिप्सम- 35 किलो, लिण्डेन- 1 किग्रा., फार्मलीन- 2 लीटर।


अल्प विधि द्वारा
सूत्र क्रमांक-1
गेहू/चावल का भूसा-1000 किलोग्राम, गेहू का चोकर-50 किलोग्राम, मुर्गी की खाद-40 किलोग्राम, यूरिया-185 किलोग्राम, जिप्सम-67 किलोग्राम, लिंडन डस्ट-1 किलोग्राम।
सूत्र क्रमांक-2
गेहू/चावल का भूसा-1000 किलोग्राम, चावल का चोकर-68 किलोग्राम, मुर्गी की खाद-400 किलोग्राम, यूरिया-20 किलोग्राम, जिप्सम-64 किलोग्राम, कपास के बीज का चोकर-17 किलोग्राम।
सूत्र क्रमांक-3
गेहू/चावल का भूसा-1000 किलोग्राम, मुर्गी की खाद-400 किलोग्राम, यूरिया-14, किलोग्राम, जिप्सम-30 किलोग्राम, ब्रूवर के दानें-72 किलोग्राम।

दीर्घ विधि से कम्पोस्ट तैयार करने की विधि:-
इस विधि द्वारा कम्पोस्ट को कम्पोस्टिंग शेड में ही तैयार किया जाता हैं। इस विधि द्वारा कम्पोस्ट तैयार करने में करीब २८ दिन लगते हैं। इसमें प्राप्त कम्पोस्ट की उपज लघु विधि द्वारा तैयार कम्पोस्ट से अपेक्षाकृत कम मिलती हैं सबसे पहले समतल एवं साफ फर्श पर भूसे को दो दिन तक पानी डालकर गीला किया जाता हैं।


इस गीले भूसे में जिप्सम के अलावा सारी सामग्री मिलाकर उसे थोड़ा और गिला करें। यह बात ध्यान में रखें की पानी उसमे से बहकर बाहर ही निकलें एवं लकड़ी को चौकोर बोर्ड की सहायता से 1 मीटर चौड़ा एवं 3 मीटर लम्बा (लम्बी कम्पोस्ट बोरस की मात्रा के अनुसार) और करीब 1.5 मीटर ऊँचा चौकोर ढेर बना लें। चार पांच घण्टे बाद लकड़ी के बोर्ड को तोड़कर वापस चौकोर ढेर को दो दिन तक ऐसे ही पड़ा रखें। दो दिन बाद ढेर को तोड़कर वापस चौकोर ढेर बना लें एवं ध्यान रखें की ढेर का अंदर का हिस्सा बाहर व बाहर का हिस्सा अंदर आ जाये।
इस तरह से ढेर को दो दिन के अंतराल पर तीसरे दिन पलटाई करते जाये एवं तीसरी पलटाई पर जिप्सम की पूरी मात्रा मिला दें। पानी की मात्रा यदि कम हो तो उस पर पानी छिड़क दे एवं चौकोर ढेर बना लें। पलटै करने का विवरण सरणी में दिया गया हैं।
पाईप विधि यह विधि दीर्घ कम्पोस्टिंग विधि में लगने वाले समय को कम करने के लिए हैं। इस विधि द्वारा 19-20 दिन में कम्पोस्ट तैयार हो जाती हैं। इसमें कुल 12पाइप, 4 फ़ीट आकार के जिनमे चारों और 1 इंच व्यास के छेद किये जाते हैं की आवश्यकता होती हैं।
कम्पोस्ट की शुरूआती 3 पलटाई तक विधि लम्बी विधि जैसी हैं। तीसरी पलटाई के बाद कम्पोस्ट को एक लोहे के फ्रेम के आकार में भरते समय निचे से एक फ़ीट की ऊंचाई के अंतराल में एक-एक पाईप लगाते हैं। इन्हे एक फ्रेम की सहायता से व्यवस्थित किया जाता हैं। यदि 2 टन का कम्पोस्ट बनाना हैं तो पाईप को व्यवस्थित रखने के लिए 4 फ्रेम की आवश्यकता पड़ती हैं।


इस विधि में तीसरी पलटाई के बाद हर पलटाई 4 दिन बाद की जाती हैं। लगभग 2-3 पलटाई उपरांत कम्पोस्ट तैयार हो जाता हैं। यदि अमोनिया की गन्ध हो तो एक पलटाई और की जाती हैं। इस पुरे कम्पोस्ट को 100 गेज की पॉलीथिन शिट से ढकना आवश्यक हैं एवं इस शीट में बड़े छेद कर दें ताकि हवा का आवागमन बना रहें।
लघु विधि द्वारा कम्पोस्ट तैयार करना
इस विधि से तैयार किया गया कम्पोस्ट दीर्घ विधि से तैयार किये गए कम्पोस्ट से अच्छा होता हैं इस पर मशरूम की उपज भी ज्यादा मिलती हैं एवं कम्पोस्ट तैयार करने में समय कम लगता हैं। परन्तु साथ ही इस विधि द्वारा कम्पोस्ट तैयार करने में लागत भी ज्यादा आती हैं और कुछ यंत्रों की आवश्यकता होती हैं जैसे कम्पोस्ट शेड, बल्क पाश्चुराइजेशन कमरा या टनल, पीक हीटिंग कमरा इत्यादि।
कम्पोस्ट यार्ड
एक मध्यम आकर के मशरूम फार्म के लिए 100′ लम्बाई एवं 40′ चौड़ाई वाला शेड ठीक रहता है। कम्पोस्ट यार्ड का फर्श सीमेंट का बना होना चाहिए साथ ही पानी को निचे इक्क्ठा करने के लिए गुड्डी पिट होना चाहिए। ऊपर सीमेंट की चादर या टिन शेड लगन चाहिए।
बल्क पाश्चुराइजेशन कमरा या टनल इसकी दीवारें  इंसुलेटेड होती है एवं इसमें दो फर्श होते है। पहले फर्श में 2% का ढलान दिया जाता है। इसके ऊपर लकड़ी या लोहे की जाली लगी होती है जिसके ऊपर कम्पोस्ट को रखा जाता है।

करीब 25-30% फर्श को खुला रखा जाता है जिससे भाप व् हवा का आवागमन अच्छी तरह से हो पाये। कमरे का आकार कम्पोस्ट की मात्रा पर निर्भर करता है। करीब 20-22 टन कम्पोस्ट बनाने के लिए 36′ लम्बाई, 10 फिट चौड़ाई  फिट फर्श की ऊंचाई आकार के इंसुलेटेड कमरे की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा हमें 150 किलोग्राम/घंटा की दर से भाप बनाने वाले बायलर की आवश्यकता होती है। इसके अलावा 1450 आर.पी.एम. दबाव 100-110 मिली लीटर एवं 150-200 घनमीटर हवा प्रति घंटा प्रति ब्लेअर की आवश्यकता होती है।
जहां पर ढलान दिया जाता है वहां पर भाप एवं हवा के पाइप खुलते है जो की ब्लोअर से जुड़े रहते है। ब्लोअर , प्लेनम के नीचे लगा रहता है एवं भूमिगत कमरे में रहते है। तजा हवा, डम्पर्स की सहायता से पुनः सर्कुलेशन डक्ट से कम्पोस्ट की कंडीशनिंग की जाती है।

पाश्चुराइजेशन कक्ष में दो वेंटिलेटर ओपनिंग होती है एक अमोनियम रिसर्कुलेशन एवं अन्य गैसों के लिए एवं दूसरी तजा हवा के लिए। टनल के दोनों तरफ दरवाजे होते है एक और से कम्पोस्ट डाला जाता है और दूसरी ओर से निकाला जाता है।
उच्च तापीय कक्ष
यह सामान्य इन्सुलेटेड कक्ष होता हैं जिसमे भाप की नलियां एवं हवा के आगमन के ल

उच्च तापीय कक्ष
यह सामान्य इन्सुलेटेड कक्ष होता हैं जिसमे भाप की नलियां एवं हवा के आगमन के लिए पंखा लगा होता हैं। 24 फ़ीट लम्बाई एवं 6 फ़ीट चौड़ाई 8 फ़ीट छत की ऊंचाई का कमरा 250 ट्रे को रखने के लिए ठीक रहता हैं।
इस कक्ष का उपयोग केसिंग सामग्री को निर्जीवीकरण के लिए काम में लेते हैं।
इस विधि द्वारा कम्पोस्ट तैयार करने के लिए गेहूं/चावल का भूसा, मुर्गी की खाद बाला सूत्र काम में लिया जाता हैं।

प्रथम चरण
दीर्घ अवधि की तरह ही कम्पोस्ट बनाने के लिए भूसे को दिन तक गीला किया जाता हैं। तीसरी पलटाई तक वैसे ही पलटाई की जाती हैं जैसे दीर्घ अवधि में की जाती हैं। चौकोर ढेर बनाया जाता हैं एवं मध्य भाग में तापमान 70-80 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता हैं एवं बाहरी हिस्से में तापमान 50-60 डिग्री सेल्सियस होता हैं।
द्वितीय चरण
द्वितीय चरण में कम्पोस्ट को टनल में डाल दिया जाता हैं एवं तापमान स्वतः ही  (6-8 घंटे में) 57 डिग्री सेल्सियस हो जाता हैं। धीरे-धीरे इनका तापमान 50 से 45 डिग्री सेल्सियस तक घटाकर ताजा हवा अंदर डालकर एवं एक्जास्ट से गर्म हवा को बाहर निकालकर किया जाता हैं।
तृतीय चरण
बहुत सारे तापमापी अलग-अलग जगह पर टनल में लगा दिये जाते हैं। जिससे की टनल के अंदर का तापमान देखा जा सकें। एक तापमापी को प्लेनम में रखा जाता हैं एवं 2-3 तापमापी को कम्पोस्ट ढेर में रखा जाता हैं। दो तापमापियों को कम्पोस्ट ढेर के ऊपर रखा जाता हैं। दरवाजें को बन्द करके, ब्लोअर के पंखे को चालू करने से कम्पोस्ट का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस आ जाता हैं।

यह ध्यान में रखना चाहिये की टनल के अंदर ही हवा के तापमान का अंतर 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो,जैसे ही कम्पोस्ट का तापमान 45 डिग्री हो, ताजा हवा रोक देनी चाहिये। धीरे-धीरे स्वतः ही तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस प्रति घंटा की दर से बढ़ने लगता हैं एवं 57 डिग्री सेल्सियस हो (10-12 घंटे में) तापमान मिल जाता हैं। इस तापमान पर कम्पोस्ट को 6-8 घंटे रखा जाता हैं ताकि उसका पाश्चुरीकरण अच्छी तरह से हो सकें। ताजा हवा के प्रवाह के लिए डक्ट को खोल देते हैं (लगभग 10%) इस प्रकार कम्पोस्ट के पाश्चुरीकरण के बाद उसकी कंडीशनिंग की जाती हैं।
कम्पोस्ट की कंडीशनिंग
उपरोक्त पाश्चुरीकरण कम्पोस्ट में कुछ ताजा हवा देने से इस भाप की सप्लाई बंद करके उसका तापमान 4 डिग्री  सेल्सियस तक लाया जाता हैं इस तापमान पर आने में लगभग तीन दिन का समय लगता हैं एवं अमोनिया की मात्रा 10 पी.पी.एम. से कम हो जाती हैं। इस कंडीशनिंग के बाद कम्पोस्ट को 25 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस तक ठण्डा किया जाता हैं। और इसके लिए ताजा हवा के प्रवाह का उपयोग किया जाता हैं।

इस प्रकार पूरी प्रक्रिया में 7-8 दिन लगते हैं पास्चुरीकरण एवं कंडीशनिंग के समय 25-30% कम्पोस्ट का वजन कम हो जाता हैं यदि हम 20 टन कम्पोस्ट बनाना चाहते हैं तो हमे लगभग 28 टन कम्पोस्ट टनल में भरना चाहिये। जिसके लिए 12 टन कच्चे माल की आवश्यकता होगी। यानि कुल कच्चे माल का 2 से 2.5 गुना कम्पोस्ट अंत में प्राप्त होता हैं।

अच्छे कम्पोस्ट की पहचान

कम्पोस्ट बनने के बाद हमे कुछ बाते ध्यान में रखनी चाहिये जैसे की कम्पोस्ट का रंग गहरा भूरा होना चाहिये, यह हाथ पर चिपकना नहीं चाहिये, इसमें से अच्छी खुशबु आती हो, अमोनिया की गनध नहीं हो, नमी की मात्रा 68-72% एवं पी.एच. 7.2-7.8 होना चाहिये। यह भी ध्यान रखना चाहिये की उसमे किसी प्रकार के कीड़े, निमेटोड एवं दूसरी फफूंद न हो। यह पहचान लम्बी विधि द्वारा बनाये बिजाई कम्पोस्ट पर भी लागु होती हैं।

बिजाई (स्पानिंग)


मशरूम का बीज ताजा, पूरी बढ़वार लिए एवं अन्य फफूंद से मुक्त होना चाहिये। कई लोग 1.5 किलो बीज भी उपयोग में लेते हैं। परन्तु यह कम्पोस्ट का तापमान बढ़ा देता हैं। बीज की मात्रा 1 क्विंटल कम्पोस्ट में 750 ग्राम से 1 किलोग्राम के आसपास होनी चाहिये। इस बीज/स्पॉन को कम्पोस्ट में अच्छी तरह मिलाकर उसे या तो पॉलीथिन की थैलियों (12 इंच) या पॉलीथिन शीट (6-8 इंच) पर शेल्फ में भर देना चाहिये।
पॉलीथिन की थैलियों को ऊपर से मोड़कर बंद कर देना चाहिये जबकि शेल्फ पर अकबार ढक देना चाहिये। थैलियां 8 किलो कम्पोस्ट भरने के लिए उपयुक्त हो, इससे उत्पादन 10 किलो कम्पोस्ट के बराबर मिलता हैं।
इस समय का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से कम एवं नमी 70% रखनी चाहिये। करीब 15 दिन बाद उसके अंदर स्पॉन रन पूरा हो जाता हैं और इसके बाद केसिंग की आवश्यकता होती हैं।

केसिंग


जैसे ही स्पॉन रन पूरा हो जाता हैं उसके बाद केसिंग मिट्टी के लिए उपयुक्त मिश्रण इस प्रकार हैं:
बगीचे की खाद (एफ.वाई.एम.)+दोमट मिट्टी- 1:1
एफ.वाई.एम.+ दो साल पुरानी बटन मशरूम की खाद-1:1
एफ.वाई.एम.+ दोमट मिट्टी+रेती+2 साल पुरानी बटन मशरूम की खाद- 1:1:1:1
उपरोक्त किसी भी एक मिश्रण को लेवें परन्तु मिश्रण-२ सर्वाधिक उपयुक्त एवं अधिक उपज देने वाला हैं। एवं 8 घंटे तक पानी में भिगोना चाहिये। करीब 8 घंटे के बाद पानी से निकलकर सूखा कर केसिंग मिट्टी का निर्जीवीकरण, फार्मलीन के 6% घोल से करना चाहिये एवं उसे 48 घंटे बंद रखना चाहिये।
इसके बाद इसे खोलकर 24 घंटे फैलाकर रखें ताकि मिश्रण सुख जाए और स्पॉन राण कंपसट पर 1 इंच मोटी परत लगानी चाहिए एवं पानी इस तरह छिड़के की केवल केसिंग ही गीली हो। कमरे का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम होना चाहिए एवं नमी 70-90% के बिच होनी चाहिए साथ ही हवा का आवागमन होना चाहिए।
केसिंग मिश्रण की पानी सोखने की क्षमता 75% के आसपास, पी. एच. 7.7-7.8 केसिंग मिट्ठी का धनत्व 0.75-0.80 ग्राम/मिलीलीटर तथा पोरोसिटी व इ.सी. कम होनी चाहिए।
केसिंग करने के लगभग 10-12 दिन पश्चात् इसमें छोटे-छोटे मशरूम के अंकुरण बनने शुरू हो जाते है। इस समय केसिंग पर 0.3% केल्सियम क्लोराइड का छिड़काव दिन एक बार पानी के साथ जरूर करना चाहिए और इसको मशरूम तोड़ने तक बराबर करते रहना चाहिए।


जो अगले 5-7 दिनों में बढ़कर पूरा आकर ले लेते है। इन्हे घुमाकर तोड़ लेना चाहिए, तोड़ने के बाद निचे की मिट्ठी लगे तने के भाग को चाकू  से काट देना चाहिए एवं आकर के अनुसार छांट लेना चाहिए।
एक बार केसिंग में लगाने के बाद करीब 80 दिन तक फसल प्राप्त होती रहती है। कुल उपज 1 क्विंटल कम्पोस्ट पर 15-18 किलो के लगभग प्राप्त होती है। जब कम्पोस्ट लघु विधि से बनाया गया हो तो उपज 20-25 किलोग्राम तक प्राप्त होती है।
एक किलो मशरूम उत्पादन की लागत 20-22 रूपये के बीच आती है एवं बाजार में इसका मूल्य 120-125 रूपये प्रति किलोग्राम तक मिल जाता है।
बटन मशरूम (button mushroom) बटन मशरूम (button mushroom) Reviewed by vikram beer singh on मार्च 17, 2018 Rating: 5

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