All About Mushroom spawn in uttar pradesh


आवश्यकता और माघ्यम के अनुसार विभिन्न प्रकार के स्पॉन होते हैं।

विरजिन स्पॉन -

किसी भी प्रजाति के बीजाणुओं को उपयुक्त माघ्यम में उगाकर कवकजाल बनाये जाते हैं। अगर कवकजाल या कवकतन्तु आपस में उलझे हुए हो तो उसमें से एक ढेला तोड़कर अंडजनन के लिए उचित क्रियाधार मे मिला देते हैं। इस तरह के अंडो को विरजिन स्पान कहते हैं।
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फ्लेक स्पॉन -

उगे हुए कवकजाल को कम्पोस्ट में भर दिया जाता है और पिन हेड्स निकलने से पहले ही कम्पोस्टतल को तोड़कर कवकजाल को सुखा लेते हैं। अब सूखी हुई कम्पोस्ट की पपङी में विद्यमान कवकजाल को नये कम्पोस्ट में अंडे के रूप में बिखेर देते हैं।
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ब्रिक स्पॉन -

निम्नलिखित सामग्री के मिश्रण से 3-4 सेमी. ईट जैसी मोटी परत बना लें-

घोड़े की लीद
गाय का गोबर
चिकनी मिट्टी
पानी
घोड़े की लीद, गाय का गोबर और चिकनी मिट्टी बराबर मात्रा में लेकर उसमें आवश्यकता के अनुसार पानी मिलाकर ईटों के आकार का बना लें। अब प्रत्येक ईट के मध्य में छोटा सा छेद बनाकर उसमें कवकजाल (माइसेलियम) भर दें। कुछ दिनों के लिए ईटों को ढंककर नम स्थान पर रखें यदि नमी कम हो तो पानी का छिङकाव करते रहे। कुछ दिनों में ही ईटों में कवकजाल फैल जाता है अब इन ईटों को अंडजनन के लिए उपयोग में ले सकते हैं।
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ग्रेन स्पॉन -

इस प्रक्रम में कवकजाल उगाने के लिए दानों को माध्यम बनाया जाता है। इसके लिए गेहूं, राई, ज्वार या बाजरे के दानों का उपयोग किया जाता है। यह विधि काफी प्रचलित है एवं सभी स्तर के किसानों द्वारा इसे बङे पैमाने पर उपयोग मे लिया जाता है।
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सॉडस्ट स्पॉन(बुरादा) -

चूरा आमतौर पर कुछ प्रकार के दृढ़ लकड़ी से बना होता है जिसमें न तो बहुत बड़ा होता है और न ही बहुत महीन।
चूरा स्पॉन का उपयोग इनोक्यूलेट लॉग, आउटडोर मशरूम बेड, पास्चुरीकृत पुआल, कार्डबोर्ड, और अन्य सब्सट्रेट की एक किस्म के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग प्लग स्पॉन बनाने के लिए लकड़ी के डॉवल्स को टीका लगाने के लिए भी किया जाता है।
चूरा के रूप में मशरूम स्पॉन का एक मुख्य लाभ कणों का आकार है। क्योंकि वे बहुत छोटे हैं और कई हैं, सब्सट्रेट में बढ़ने के लिए मायसेलियम के कई और अधिक टीकाकरण बिंदु हैं। यह तेजी से मायसेलियम के साथ उपनिवेशण बनाता है। परिणामस्वरूप कम समय में कवकजाल फैल जाता है।
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प्लग(Dowels) स्पॉन -

प्लग स्पॉन छोटे लकड़ी के डॉवल्स का एक संग्रह है जो माइसेलियम के साथ टीका लगाया गया है। यह चूरा स्पॉन के साथ किया जा सकता है, या यहां तक ​​कि जीवित मशरूम के तने के साथ भी।
प्लग स्पॉन का एक फायदा यह है कि यह लकड़ी या फाइबर से बने इनोकेटिंग सब्सट्रेट्स के लिए बहुत प्रभावी है। यह आसानी से कार्डबोर्ड, लकड़ी के चिप्स, कागज, स्टंप और लॉग को उपनिवेश करता है।
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लिक्विड स्पॉन - 

लिक्विड कल्चर एक पाश्चुरीकृत पौष्टिक घोल होता है। जिसमें आमतौर पर पानी और विभिन्न प्रकार की शक्कर का मिश्रण होता है। जिसमें फंगस बीजाणु या मायसेलियम के साथ मिला दिया जाता है। एक बार कवकजाल फैलने के बाद, पीएफ जार या ग्रेन स्पॉन को टीका लगाने के लिए लिक्विड कल्चर का उपयोग किया जाता है।
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वुडचिप स्पॉन - 

वुडचिप स्पॉन विभिन्न हार्डवुड के वुडचिप्स से बनाया जाता है।

स्ट्रॉ स्पॉन - 

स्ट्रॉ स्पॉन पास्चुरीकृत पुआल को मायसेलियम के साथ टीका लगाया जाता है।

चूरा स्पॉन प्लग - 

चूरा स्पॉन प्लग अंत में स्टायरोफोम के साथ एक प्लग के आकार में चूरा स्पॉन का प्रयोग किया जाता है।


All About Mushroom spawn in uttar pradesh All About Mushroom spawn in uttar pradesh Reviewed by vikram beer singh on नवंबर 30, 2019 Rating: 5

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