Growing white button Mushroom in five steps
सफेद बटन मशरूम को सफलतापूर्वक उगाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पाँच चरणों से होकर गुजरना पड़ता है।सफेद बटन मशरूम प्राकृतिक रूप से जिस-जिस क्रम से होकर अपने आप उगता है, उसी क्रम को हम इन चरणों में विभाजित करने का प्रयास किया है। इसमें पहला चरण कम्पोस्ट बनाने, दूसरा चरण है स्पानिंग(मशरूम बीज की बुआई) और माइसेलियम रन(कवक जाल का फैलना), तिसरा चरण में केसिंग(लेपन) का कार्य किया जाता है और चौथे चरण में पिनिंन(पिन हेड्स) निकलना शुरू हो जाता है, अंतिम चरण में मशरूम की तुणाई की जाती है।मशरूम उत्पादन के लिए उत्पादक को पांच चरणों से होकर गुजरना पड़ता है, यद्यपि इनकी प्रक्रिया थोड़ा - थोड़ा भिन्न जरुर दिखायी देता है। मशरूम उत्पादन को इन चरणों में विभाजित करने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि सफलतापूर्वक मशरूम उगाने के लिए हमें किस समय कौन - कौन से पौषक तत्व चाहिए और कौन से नहीं चाहिये।
मशरूम कम्पोस्ट मशरूम को सफलतापूर्वक उगने के लिए एक माध्यम व आवश्यक पोषक तत्वों के प्रबंधन का काम करता है।
सिंथेटिक कम्पोस्ट को बनाने के लिए मुख्यतः गेहूं के भूसे या धान पुआल का प्रयोग किया जाता है, कम्पोस्ट में नाइट्रोजन अवयव प्रमुख रूप से देना होता है एवं अन्य उत्प्रेरक अवयव और अंत में जिप्सम दिया जाता है। जिप्सम जरूरी है क्योंकि जिप्सम कम्पोस्ट को दानेदार बनाने एवं PH मान को भी संतुलित करने में सहायक होता है। आगे हम सभी स्टेप्स के बारे में चर्चा करेंगे।
पहला चरण(कम्पोस्ट बनाना) -
कम्पोस्ट बनाने के लिए सबसे पहले भूसे व अन्य भिगोने वाले अवयवों को भिगो लेते हैं तत्पश्चात अन्य सभी कम्पोस्ट सामग्रियों को मिलाकर एक चौकोर ढेर बना दिया जाता है। यह ढेर इस तरह बनाना चाहिए कि कम्पोस्ट का ढेर अंदर से कम दबा(फुला हुआ) और बाहरी हिस्सा दबा हुआ (किनारों को हाथ से अच्छी तरह दबा देना चाहिए)। बाकी बचे हुए अन्य सामग्री को समय - समय पर मिलाते रहना चाहिए जैसे नाइट्रोजन सप्लीमेंट व जिप्सम इत्यादि। पानी का छिङकाव करते रहना चाहिए जिससे कम्पोस्ट में जैविक किण्वन शुरू हो जाता है। किण्वन शुरू होने के बाद कम्पोस्ट में नये सुक्ष्म जीवाणु पैदा होने लग जाते हैं, जिससे कम्पोस्ट की गर्मी बढ जाती है अमोनिया व कार्बन डाई ऑक्साइड गैस निकलने लगता है, उस समय वहां पर हवा का आवागमन अच्छा होना चाहिए। मशरूम कम्पोस्ट के सभी अवयवों म बदलाव गर्मी का बढना अमोनिया जैसी गैसों का उत्सर्जन य पूरी तरह से रसायनिक प्रक्रिया के दौरान होती है, जो कि मशरूम के लिए कफी बेहतर होता है क्योंकि इस समय अधिकतर फफूंद और जीवाणु लगभग समाप्त हो जाते हैं। मशरूम कम्पोस्ट में नमी, हवा का आवागमन व नाइट्रोजन का उचित स्तर बनाये रखना चाहिए। कम्पोस्ट में जिप्सम मिलाना जरूरी है क्योंकि जिप्सम कम्पोस्ट को दानेदार,हल्का बनाने में मदद करता है।
इसके बाद मशरूम कम्पोस्ट का अमोनिया का स्टेट्स चेक करना चाहिए क्योंकि अच्छे कम्पोस्ट में अमोनिया 0.07% से अधिक नहीं होना चाहिए, अमोनिया की गंध आ रही है तो इसका मतलब है कि कम्पोस्ट में अभी 0.10%अमोनिया है यदि ऐसा है तो कम्पोस्ट को फर्श पर फैलाकर छोड़ दें।
अब कम्पोस्ट की पास्चुराइजेशन की तैयारी कर लें, पास्चुराइजेशन की दो विकल्प है पहला रसायनिक विधि और दुसरा है उच्च दाब की भाप के द्वारा निर्जीवीकरण करना। (मशरूम कम्पोस्ट सामग्री)
दूसरा चरण स्पॉनिंग करना(बीजाई करना) -
स्पानिंग करने के लिए सबसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें जिससे हाथ किटाणु मुक्त हो जाय, इसके लिए हाथों को साबुन से धुलने के पश्चात स्प्रिट या फिर हैंड सैनिटाइजर का उपयोग कर सकते हैं।
मशरूम की अच्छी पैदावार के लिए कम्पोस्ट और स्पान का उचित अनुपात होना आवश्यक है, छेत्रफल के अनुसार '1यूनिट स्पान 5 वर्ग फीट ' के लिए पर्याप्त होगा, और कम्पोस्ट के अनुसार 2% स्पान सुखे हुए कम्पोस्ट के भार के लिए आवश्यक है।
कम्पोस्ट को फर्श पर फैला दें फिर उसके उपर स्पान का छिङकाव कर हाथों से अच्छी तरह से मिलाकर कम्पोस्ट को पाॉली बैग में भर देवें, भरते समय यह ध्यान रखें कि कम्पोस्ट को हाथ से दबाते हुए भरें जिससे कम्पोस्ट के अन्दर का हवा निकल जाय। यदि आप बेड उगाना चाहते हैं इसी प्रकार से बेड पर भी करना चाहिए। एक बात और पॉली बैग के लिए कम्पोस्ट की ऊंचाई 10-12 इंच और बेड के लिए ये ऊंचाई 5-7 इंच रखने चाहिए।
माइसेलियम रन (कवक जाल का फैलना) -
स्पॉनिंग करने के पश्चात लगभग दस दिनों में कवक जाल का फैलना शुरू हो जाता है ये मौसम के तापमान पर निर्भर करता है। माइसेलियम रन के लिये अपेक्षित तापमान 75-80 डिग्री फॉरेनहाइट है। इस समय कम्पोस्ट में नमी का उचित स्तर बनाये रखना चाहिए। दस दिनों के उपरान्त कवक जाल धागे की तरह कम्पोस्ट में दिखाई देने लगता है कवक जाल सभी दिशाओं में एक साथ सारे कम्पोस्ट में फैलने लगता है, कवक जाल हल्का निला रंग लिए हुए सफेद रंग का होता है।
कम्पोस्ट में कवक जाल लगभग 15-20 दिनों में फैल जाता है।कवक जाल का फैलना कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कम्पोस्ट की क्वॉलिटी, कम्पोस्ट में पोषक तत्वों की मात्रा, तापमान, नमी और स्पॉन की मात्रा व स्पॉन मिलाने के तरीके पर। अब जबकि स्पॉन पूरी तरह से रन कर चुका है तो हम अगले चरण पर चलते हैं।
तीसरा चरण केसिंग-
केसिंग मैटेरियल के लिए हम (चिकनी मिट्टी, वर्मीकुलाइट और गेहूं के चोकर) या फिर (चिकनी मिट्टी, गोबर की सङी हुई खाद और बारीक रेत) दोनों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं। सभी सामग्री बराबर मात्रा में लेकर अच्छे से मिलाकर फॉर्मलिन 2% का घोल तैयार कर मिश्रण को पुरी तरह से गीला कर लें। अब केसिंग मैटेरियल को किसी पॉलिथीन या जूट के बोरी से 24 घंटे के लिए छोङ दे। 24 घंटे बाद केसिंग मैटेरियल को खोलकर और हाथों से फैलाए जिससे केसिंग मैटेरियल का गंध निकल जाय। केसिंग मैटेरियल अब कम्पोस्ट पर लगा दें, केसिंग की लेयर लगभग 2इंच मोटी रखें। केसिंग के पश्चात कमरे का तापमान 65डिग्री फॉरेनहाइट रखने चाहिए और नमी बनाये रखने चाहिए।केसिंग के बाद लगभग 5-7 दिनों में पिन हेड्स दिखाई देने लग जाता है।
चौथा चरण (पिन हेड्स का निकलना) -
सर्वप्रथम राइज़ोमॉर्फ्स विकसित होता है, माइसेलियम की घनीभूत अवस्था को राइज़ोमॉर्फ्स कहते हैं। उसी राइज़ोमॉर्फ्स से ही लगभग 18-22 दिनों के उपरान्त छोटे - छोटे पिन हेड्स निकलना आरम्भ हो जाता है।इस समय ध्यान रखें कि कमरे में कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर 0.08% होना चाहिए या फिर इससे कम हो तो और अच्छा है। कमरे में हवा का आवागमन बनाये रखना चाहिए। हवा की कमी या कार्बन डाई ऑक्साइड की अधिकता से मशरूम की पैदावार बाधित हो जाती है।
पांचवां चरण(मशरूम की तुणाई) -
पिन हेड्स निकलने के 3-5 दिनों में मशरूम की तुणाई आरंभ हो जाता है। मशरूम की पैदावार लेते समय नमी का स्तर बनाये रखना चाहिए और कमरे का तापमान (57 डिग्री फॉरेनहाइट - 62डिग्री फॉरेनहाइट) रखनी चाहिए। मशरूम की पैदावार आपको हर 2-3 दिनों के अंतराल पर मिलता रहता है और मशरूम 60 से 90 दिनों तक नकलता रहता है।
Five steps to cultivate white button Mushroom
Reviewed by vikram beer singh
on
नवंबर 21, 2019
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Nice post
जवाब देंहटाएंNice post
जवाब देंहटाएंBahut achhe Bhai . lekin casing ke liye gobar namile to kya Karna Chahiye
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