Mushroom disease management
अन्य फसलों की तरह मशरूम में भी कई बीमारियां लगती है। मशरूम में बीमारियों की सम्भावना और भी अधिक होती है क्योंकि विशेष माध्यम में कमरों में उगाया जाता है तथा इसमें 90 प्रतिशत पानी होता है।
मशरूम में मुख्यतः दो प्रकार के रोग देखने को मिलता है।
1 - जैविक :
जो रोग प्राणियों के कारण होते हैं, इस श्रेणी में शामिल किया गया है ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते है।- कवक (फफूंद) जनित रोग
- जीवाणु जनित रोग
- विषाणु जनित रोग
2-अजैविक :
जो रोग निर्जीव कारणों से पैदा होते हैं, इस श्रेणी में आते हैं। ये निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न हो सकतें है।- तापमान
- कार्बन डाई ऑक्साइड
- वायु
- जल एवं नमी
- रसायन पदार्थ एवं धुआं
मशरूम के विभिन्न रोग एवं उपचार :
कवक जनित रोग :
1-भूरा लेप(ब्राउन प्लास्टर) :
लक्षण- बीजित कम्पोस्ट में या केसिंग परत पर आटे की तरह गोल घेरे दिखाई देते हैं जो बाद में भूरे हो जाते हैं।रोकथाम -
- साफ - सफाई का ध्यान रखें।
- कम्पोस्ट में पर्याप्त मात्रा में जिप्सम मिलाना चाहिए व अधिक मात्रा में पानी न डालें।
- पीक हीटिंग से पहले व बाद में कम्पोस्ट ज्यादा गीला न हो।
- रोगग्रस्त भागों को हटाकर उस भाग पर 2 प्रतिशत फॉर्मेलीन या 0.05 प्रतिशत बॉविस्टिन घोल का छिङकाव करना चाहिए।
2-सफेद लेप
(व्हाइट प्लास्टर मोल्ड)
लक्षण-केसिंग मिट्टी पर आटे की तरह सफेद फफूंद दिखाई देती है जो कि अंत तक सफेद ही बनी रहती है।रोकथाम - बॉविस्टिन 0.05 प्रतिशत या फिर थिरम 0.08 प्रतिशत घोल का छिङकाव दस - दस दिनों के अंतराल पर करना चाहिए।
3-पीली फफूंद
(येलो मोल्ड)
लक्षण- पीली फफूंद किनारों पर सफेद एवं उभरी हुई एवं मध्य में पीले - भूरे रंग का होता है।- कम्पोस्ट एवं केसिंग मिट्टी के बीच में पीला स्ट्रोमा पाया जाता है।
रोकथाम - कम्पोस्ट का पास्चुरीकरण सही ढंग से करें।
- उत्पादन कक्ष व आस-पास साफ सफाई रखें।
- कैल्सियम हाइपोक्लोराइट 0.15 प्रतिशत घोल का छिङकाव करें।
4-लाल फफूंद (लिपिस्टिक फफूंद)
लक्षण- प्रारम्भ में सफेद रवेदार फफूंद के समान दिखाई देता है जो कि बाद में चलकर गहरे लाल रंग का हो जाता है।रोकथाम - कम्पोस्ट का पास्चुरीकरण सही ढंग से करें।
- उत्पादन कक्ष व आस-पास साफ सफाई रखें।
- कम्पोस्ट में 68-70 प्रतिशत नमी बनाये रखें।
5-हरी फफूंद (ग्रीन मोल्ड)
लक्षण - कम्पोस्ट व केसिंग मिट्टी पर छोटे - छोटे हरे धब्बे दिखाई देतें हैं और यह धब्बे मशरूम पर भी दिखाई दे सकते हैं।- मशरूम भूरा हो जाता है और उस पर हरे फफूंद उगने लगते हैं।
रोकथाम - कम्पोस्ट का पास्चुरीकरण सही ढंग से करें।
- उत्पादन कक्ष व आस-पास साफ सफाई रखें।
- मरे हुए मशरूम को निकाल कर फेंक दें।
- बॉविस्टिन 0.5 प्रतिशत घोल का छिङकाव करें।
6-फाल्स ट्रफल(आभासी ट्रफल)
लक्षण - कम्पोस्ट या केसिंग मिट्टी पर सफेद दानेदार गुच्छे दिखाई देते हैं। प्रारंभिक अवस्था में ये मशरूम कलिकाओं के समान लगते हैं परन्तु बाद में ये हल्के भूरे रंग के हो जाते हैं।रोकथाम - उत्पादन कक्ष में कवकतन्तु फैलाव व फलन के दौरान कक्ष का तापमान क्रमशः 20 - 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक न होने दें।
7-जाली रोग (काबवेब मिल्ड्यू)
लक्षण - केसिंग मिट्टी की सतह पर सफेद या स्लेटी रंग की फफूंद पायी जाती है जो बाद में चलकर लाल रंग की हो जाती है और मशरूम को चारो ओर से ढक देता है।रोकथाम - उत्पादन कक्ष में नमी कम करें।
- डाईथेन एम - 45 का 0.2 प्रतिशत घोल का छिङकाव करें या पैराक्लोरो नाइट्रोबेन्जीन 20 प्रतिशत या कैल्सियम हाईपोक्लोराईट का 70 प्रतिशत घोल का रोग ग्रस्त हिस्सों पर लगायें।
8-सूखा बुलबुला (ड्राई बबल)
लक्षण - मशरूम की टोपी पर छोटे - छोटे भूरे धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में चलकर बङे भूरे धब्बों में बदल जाते हैं।- तना बीच से फटने लगता है।
- टोपी का आकार बिगङ कर एक ओर झुक जाता है।
रोकथाम - सफाई का ध्यान रखें।
- डाईथेन एम - 45 का 0.2 प्रतिशत या बॉविस्टिन 0.05 प्रतिशत घोल का छिङकाव करें।
9-गीला बुलबुला(वेट बबल)
लक्षण - मशरूम विकृत नजर आते हैं।- तना फूल जाता है।
- मशरूम सङने लगता है जिस पर रोग कवक उगने लगता है तथा सङे मशरूम से भूरे रंग का द्रव्य निकलने लगता है।
रोकथाम - सफाई का ध्यान रखें।
- केसिंग के तुरन्त बाद 0.1 प्रतिशत बॉविस्टिन या स्पोरगोन का छिङकाव करें।
जीवाणु जनित रोग
भूरा दाग(बैक्टीरियल ब्लॉच)
लक्षण - मशरूम की टोपी पर छोटे - छोटे भूरे धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में चलकर बङे भूरे धब्बों में बदल जाते हैं।- मशरूम की टोपी चिपचिपी एवं मशरूम कलिका भूरी हो जाती है और उनकी वृद्धि रुक जाती है।
रोकथाम - बैगों में नमी की मात्रा अधिक न होने दें।
- रोग ग्रस्त मशरूम को निकाय कर ब्लीचिंग पाउडर 0.05 प्रतिशत घोल का छिङकाव करें व कमरों के दरवाजे एक घंटे के लिए खोल दें।
जिन्जर ब्लाॉच
लक्षण - इस रोग के लक्षण भूरे रोग के समान ही है बस अंतर इतना है कि इसमें अदरक के रंग के 1-2 मि. मि. गहरे धब्बे दिखाई देते हैं जिसका रंग अंत तक नहीं बदलता।रोकथाम - इस रोग का रोकथाम भूरा धब्बा रोग के समान ही की जाती है।
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Mushroom disease management
Reviewed by vikram beer singh
on
मार्च 23, 2020
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